भालूमाड़ा-12 जनवरी 2021
सुरेश शर्मा
आदिवासी संस्कृति परंपरा पर उनके मुख्य त्यौहार छेरछेरा के अवसर पर सैला नृत्य का आनंद नगर वासियों को मिला।
मंगलवार की सुबह लगभग 11:00 बजे भालूमाडॉ के एस ई सी एल स्कूल चौराहे के पास लगभग 25 आदिवासी जनों द्वारा गाजे बाजे के साथ सैला नृत्य का प्रदर्शन किया गया जहां पर लोगों की भीड़ जमा हो गई और शैला नत्य का आनंद नगर वासियों ने लिया।
नगर में इस तरह का आयोजन बिना किसी कार्यक्रम व बिना किसी के बुलावे के देखकर लोग हैरान भी थे आदिवासियों द्वारा शैला नित्य गाजे-बाजे के साथ चौराहे से लेकर पूरे बाजार भ्रमण करते हुए निकले।
शैला नृत्य में साथ में रहे रामप्यारे गौड़, संतोष गौड़, अंगद सिंह गौड़ ने बताया कि वह अपनी संस्कृति परंपरा के अनुरूप उनका मुख्य त्यौहार छेरछेरा है जिस पर वे लोग खुशी के लिए सैला नृत्य कर रहे हैं साथ ही उन्होंने बताया कि उनकी टीम प्रतिवर्ष कहीं ना कहीं किसी न किसी नगर में जाकर इस तरह के आयोजन करती है जिससे उनकी संस्कृति उनकी परंपरा उनकी पहचान बनी रहे साथ ही उन्होंने बताया कि इस वर्ष सैला नृत्य का नगर भ्रमण भालूमाडॉ करने के बाद कोतमा नगर में भी किया जाएगा।
शैला नत्य की टीम में लगभग 25 लोग शामिल रहे जो मूलतः ग्राम मेंड्रा खंडगवा जिला कोरिया छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। पिछले वर्ष उनकी टीम द्वारा छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ चिरमिरी हल्दीबाड़ी में सैला नृत्य का नगर भ्रमण किया गया था।
नगर में चौराहे से लेकर पुरानी नगर पालिका रोड तीन नंबर दफाई गोल बाजार दफाई होते हुए एटीएम चौक के पास तक सैला नृत्य का आनंद नगर वासियों ने लिया जहां व्यापारियों आम जनों ने खुशी खुशी उन्हें आर्थिक सहयोग भी किए वही कई स्थानों पर लोगों ने उनके चाय नाश्ते की भी व्यवस्था किए आज के इस शैला नित्य को देखकर यह एहसास भी लोगों को हुआ कि आदिवासी समाज अपने परंपरा अपनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए कितने कटिबंध हैं जो उनकी विरासत है।
जो सैला नृत्य बड़े-बड़े नेताओं अधिकारियों के आगमन पर किया जाता है वहीं सैला नृत्य आज जब नगर के गलियों में गाजे-बाजे के साथ पारंपरिक वेशभूषा के साथ लोगों ने देखा तो अत्यंत हर्ष का एहसास भी हुआ और यह भी लगा कि आदिवासियों की भी अपनी संस्कृति अपनी परंपरा है जिसको जीवित रखने के लिए वह हर समय तत्पर रहते हैं।
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