अनूपपुर जिला अंतर्गत जनपद पंचायत जैतहरी के ग्राम पंचायत रक्शा के मुक्तिधाम मे अव्यवस्थाएं हावी हैं| जिसके कारण अंतिम यात्रा में पहुंचे लोगों को यहां भी सुकून नहीं मिल पा रहा है यहां विकास कार्य तो कराए गए लेकिन उनको व्यवस्थित स्वरूप नहीं दिया जा सका जिसके कारण से निर्माण कार्य अनुपयोगी साबित हो रहे हैं सिर्फ दाह संस्कार के लिए बना यह मुक्तिधाम की स्थिति दिनोदिन बदहाल होती जारही जिस वजह से स्थानीय ग्रामीणों को बाहर खुले में ही नदी नाले य खेतों में दाह संस्कार करना पड़ रहा है|
उगआए हैं झाड़ियां कचरा का लगा अंबार
मुक्तिधाम के विकास के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी परिसर में साफ सफाई का नितांत अभाव है खड़े होने के लिए बरसात में जगह नहीं मिलती है परिसर में जगह-जगह घांस और झाड़ियां उग आई हैं प्रतीक्षालय के सामने झाड़ियां और मिट्टी के ढेर लगे होने से वहां जाना भी मुश्किल हो रहा है| परिसर के हर तरफ विभिन्न प्रकार की झाड़ियां उगकर यह मुक्तिधाम को जंगल का स्वरूप दे रहे हैं गेट मे तो कचरा का अंबार ही लगा हुआ है यहां के हालत देखकर ऐसा लगता है की पंचायत के जिम्मेदारों को अपने दायित्वों का ठीक से निर्वाहन नहीं कर पा रहे या फिर अपने कर्तव्य के प्रति एहसास ही नहीं है शायद इसीलिए साफ सफाई कराने में अनदेखी बढ़ती जा रही है|
बरसात के समय जलजला जाती है यहां की मिट्टी
समतलीकरण के लिए मुक्तिधाम कि परिसर में मुरूम भी नहीं डाली गई बड़े-बड़े मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं जिससे बरसा उपरांत कीचड़ हो जाती है|इसके समतलीकर के प्रयास तक नहीं किए जिसके कारण बरसात के समय सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है मिट्टी गीली हो जाने से पांव धसने लगते हैं जिस वजह से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है| स्थानीय लोगों का कहना है कि मुक्तिधाम में शव के अंतिम संस्कार के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है| बीते वर्षों में करीब 10 लाख की लागत से यह मुक्तिधाम का निर्माण कार्य ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा मद से वर्ष 2016-17 मे इस मुक्तिधाम का निर्माण कार्य कराया गया था| लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी अव्यवस्था से घिरा हुआ यह परिसर अनुपयोगी साबित हो रहा है|
गेट की जगह की गई रुंधाई
गांव से लगभग आठ सौ मीटर की दूरी धुरवासिन रोड पर बने यह मुक्तिधाम का गेट को देखने से यह मालूम होता है कि निर्माण होने से अब तक संचालित ही नहीं हो पाई है इसी वजह से गेट की जगह रुंधाई की गई है|
पता नहीं लगा भी था या नहीं मुक्तिधाम के मुख्य द्वार में गेट का आधा हिस्सा ही बचा है दूसरा हिस्सा बरसात के पानी में जंग लग कर टूट गया होगा या फिर अराजक तत्व द्वारा चुरा ले गए लिहाजा लकड़ी से पूरा गेट को रौंदकर कर रखा गया है और वही गेट का दूसरा हिस्सा जो लगा हुआ है वह भी जर्जर स्थिति में कचरे से ढका हुआ गौरतलब है की सरपंच एवं सचिव द्वारा मुक्तिधाम निर्माण मे गुणवत्ता को लेकर जमकर अनदेखी की गई मनरेगा योजना से 14 लाख से अधिक खर्च करने के बाद भी मुक्तिधाम की स्थिति बद से बदतर है | इस इस गेट की हालत देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि रुपए की बर्बादी किस प्रकार की गई है ग्रामीणों को असुविधा के बीच खुले में बाहर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है|
"इनका कहना "
मुक्तिधाम व्दार मे गेट लगाया गया था असामाजिक तत्वों द्वारा चुरा ले गए जिस वजह से परिसर के अंदर आवारा मवेशी प्रवेश कर वहां लगे पौधों को नुकसान पहुंचाते थे इसी कारण से रुंधाई कराई गयी है इसमें अंत्येष्टि के लिए समुचित व्यवस्था की गई है पर स्थानीय ने दाह संस्कार बाहर ही कर रहे हैं - सुरेश कोल सचिव
ग्राम पंचायत रक्सा ।
उगआए हैं झाड़ियां कचरा का लगा अंबार
मुक्तिधाम के विकास के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी परिसर में साफ सफाई का नितांत अभाव है खड़े होने के लिए बरसात में जगह नहीं मिलती है परिसर में जगह-जगह घांस और झाड़ियां उग आई हैं प्रतीक्षालय के सामने झाड़ियां और मिट्टी के ढेर लगे होने से वहां जाना भी मुश्किल हो रहा है| परिसर के हर तरफ विभिन्न प्रकार की झाड़ियां उगकर यह मुक्तिधाम को जंगल का स्वरूप दे रहे हैं गेट मे तो कचरा का अंबार ही लगा हुआ है यहां के हालत देखकर ऐसा लगता है की पंचायत के जिम्मेदारों को अपने दायित्वों का ठीक से निर्वाहन नहीं कर पा रहे या फिर अपने कर्तव्य के प्रति एहसास ही नहीं है शायद इसीलिए साफ सफाई कराने में अनदेखी बढ़ती जा रही है|
बरसात के समय जलजला जाती है यहां की मिट्टी
समतलीकरण के लिए मुक्तिधाम कि परिसर में मुरूम भी नहीं डाली गई बड़े-बड़े मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं जिससे बरसा उपरांत कीचड़ हो जाती है|इसके समतलीकर के प्रयास तक नहीं किए जिसके कारण बरसात के समय सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है मिट्टी गीली हो जाने से पांव धसने लगते हैं जिस वजह से स्थानीय लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है| स्थानीय लोगों का कहना है कि मुक्तिधाम में शव के अंतिम संस्कार के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है| बीते वर्षों में करीब 10 लाख की लागत से यह मुक्तिधाम का निर्माण कार्य ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा मद से वर्ष 2016-17 मे इस मुक्तिधाम का निर्माण कार्य कराया गया था| लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी अव्यवस्था से घिरा हुआ यह परिसर अनुपयोगी साबित हो रहा है|
गेट की जगह की गई रुंधाई
गांव से लगभग आठ सौ मीटर की दूरी धुरवासिन रोड पर बने यह मुक्तिधाम का गेट को देखने से यह मालूम होता है कि निर्माण होने से अब तक संचालित ही नहीं हो पाई है इसी वजह से गेट की जगह रुंधाई की गई है|
पता नहीं लगा भी था या नहीं मुक्तिधाम के मुख्य द्वार में गेट का आधा हिस्सा ही बचा है दूसरा हिस्सा बरसात के पानी में जंग लग कर टूट गया होगा या फिर अराजक तत्व द्वारा चुरा ले गए लिहाजा लकड़ी से पूरा गेट को रौंदकर कर रखा गया है और वही गेट का दूसरा हिस्सा जो लगा हुआ है वह भी जर्जर स्थिति में कचरे से ढका हुआ गौरतलब है की सरपंच एवं सचिव द्वारा मुक्तिधाम निर्माण मे गुणवत्ता को लेकर जमकर अनदेखी की गई मनरेगा योजना से 14 लाख से अधिक खर्च करने के बाद भी मुक्तिधाम की स्थिति बद से बदतर है | इस इस गेट की हालत देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि रुपए की बर्बादी किस प्रकार की गई है ग्रामीणों को असुविधा के बीच खुले में बाहर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है|
"इनका कहना "
मुक्तिधाम व्दार मे गेट लगाया गया था असामाजिक तत्वों द्वारा चुरा ले गए जिस वजह से परिसर के अंदर आवारा मवेशी प्रवेश कर वहां लगे पौधों को नुकसान पहुंचाते थे इसी कारण से रुंधाई कराई गयी है इसमें अंत्येष्टि के लिए समुचित व्यवस्था की गई है पर स्थानीय ने दाह संस्कार बाहर ही कर रहे हैं - सुरेश कोल सचिव
ग्राम पंचायत रक्सा ।
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