

अनूपपुर जिले के नगर पालिका परिषद पसान क्षेत्र में इस वर्ष भी शानदार कुश्ती का भव्य आयोजन किया जा रहा रहा है नगर पालिका परिषद पसान के अध्यक्ष राम अवध सिंह ने बताया यह दो दिवसीय कुश्ती का आयोजन पसान के लिए सांस्कृतिक विरासत की एक जीवंत मिसाल बन गया है ,पिछले वर्ष यह आयोजन भालूमाड़ा में किया गया था दर्शकों की भारी भीड़ और पहलवानों की जबरदस्त मौजूदगी ने इस आयोजन को एक बड़े मेले में तब्दील कर दिया था. गांव के गलियों से लेकर शहर के नुक्कड़ों तक, हर जगह केवल इस कुश्ती की चर्चा हो रही थी. जहां एक ओर पुरुष पहलवानों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया, वहीं महिला पहलवानों ने भी जोरदार दांव-पेंच दिखाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया था.
इस कुश्ती की खास बात यह रही कि इसमें केवल भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल से भी कई नामचीन पहलवानों ने भाग लिया था,पहलवानों ने अपने दमदार प्रदर्शन से दर्शकों को खासा प्रभावित किया. इनके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों से आए पहलवानों ने भी अखाड़े में जमकर पसीना बहाया था. कुल 20 जोड़ी पुरुष और 5 जोड़ी महिला पहलवानों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था,
इस आयोजन की सबसे खूबसूरत बात रही दर्शकों की भागीदारी और उनका जोश. हजारों की संख्या में जुटे दर्शकों ने हर मुकाबले के साथ तालियों से पहलवानों का उत्साहवर्धन किया था. जैसे ही कोई पहलवान अपनी पैंतरेबाज़ी दिखाता, वैसे ही पूरे मैदान में तालियों और जयघोष की गूंज उठती थी .हरियाणा से आए चौधरी ने आंखों देखा हाल सुनाकर पूरे माहौल को और भी जीवंत बना दिया था. दर्शकों का यह प्यार ही है, जो आज भी पारंपरिक खेलों को जीवित रखे हुए है.पुराने जमाने की याद ताजा करते हुए यह आयोजन लोगों को रोमांच से भर देता है.
इस वर्ष भी कुश्ती का शानदार आयोजन जमुना कालरी के मेन दुर्गा पंडाल मैदान में किया जा रहा है जिसमें नेपाल, दिल्ली,उत्तर प्रदेश, झारखंड,बिहार, हरियाणा, छत्तीसगढ़ सहित राज्यों से 20 जोड़ी पुरुष और 20 जोड़ी महिला दमदार पहलवान यहां पहुंचेंगे जिसमें 8 और 09 नवंबर दो दिवसीय कार्यक्रम किया जाना है कार्यक्रम में आप सभी पहुंच कर कुश्ती का आनंद ले
वहीं भाजपा पसान के मंडल अध्यक्ष अजय द्विवेदी ने कहा है यह दंगल केवल एक खेल आयोजन नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन चुका है. जब आधुनिक खेलों की चमक में पारंपरिक खेल खोते जा रहे हैं, तब इस तरह का आयोजन एक प्रेरणा बनकर उभरा है. ग्रामीण परिवेश में आयोजित इस प्रतियोगिता ने यह साबित कर दिया कि सही प्रयास और जनभागीदारी से हम अपनी विरासत को जीवित रख सकते हैं. नई पीढ़ी के लिए यह आयोजन एक सीख है कि कैसे शारीरिक ताकत के साथ अनुशासन, समर्पण और परंपरा का भी महत्व होता है. आने वाले वर्षों में यदि यही जोश और समर्थन बना रहा, तो यह दंगल वैश्विक स्तर पर एक पहचान बना सकता है
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