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ठेकेदारों के हाथों की कठपुतली बन बैठा खनिज विभाग

अवैध उत्खनन और परिवहन पर खनिज विभाग ने मूंदी आंखें

अनूपपुर । 



 अनूपपुर जिले में ठेकेदार के दोबारा आने के बाद जिले में खनिज विभाग ने सुस्त रवैया अपना लिया है। ठेकेदार के इशारे में कार्यवाही करने का खेल खनिज विभाग ने फिर से शुरू कर दिया है। विगत वर्ष भोपाल के रेत कारोबारी ने 38 करोड़ की बड़ी राशि पर रेत का ठेका लिया था इसके बाद साल भर में ही खदान को सिलेंडर कर दिया, अब जब दोबारा रेत का टेंडर खुला तो एसोसिएट कॉमर्स को लगभग 19 करोड़ में आधे से कम दाम में रेत खदानें ठेकेदारों को दे दी गई, जबकि नियम अनुसार खदान के अनुबंध होने के बाद प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत दर निविदा का बढ़ना था। जब 50 प्रतिशत से कम पर निविदा आवंटित कर दी गई तो वहीं से खनिज विभाग का खेल शुरू हो गया। अप्रैल माह के अंतिम में निविदाकारों को दी खदानें सौंप दी गई। 24 अप्रैल को जैसे ही खदानें सौपी गई तो वैसे ही ठेकेदार ने बिना सीमांकन के अवैध उत्खनन शुरू कर दिया। खनिज विभाग बिना निगरानी किए ही उत्खनन को हरी झंडी दे दी थी। 

2 हफ्ते तक चली बिना सीमांकन की खदान

अनूपपुर में रेत खदानों का 24 अप्रैल को स्वीकृति प्रदान कर दी गई थी 24 अप्रैल से लेकर 4 मई तक बिना सीमांकन के ही खदान से रेत की निकासी की गई। अनूपपुर जिले में तीन रेत खदानों में उत्खनन का कार्य शुरू हुआ है जिसमें चंगेरी, छुलकारी और मानपुर खदान है। चंगेरी में पूर्व में संचालित खदान की स्वयं नापीकर ठेकेदार ने उत्खनन का कार्य शुरू कर दिया था इसके बाद 4 मई को जब माइनिंग इंस्पेक्टर पहुंची तो वस्तु स्थिति की जांच की गई। तब जाकर सही स्थान पर खदान का सीमांकन किया गया। छुलकारी में बिना सीमांकन ही खदान में उत्खनन का कार्य किया गया वहीं जहां खदान होनी चाहिए थी वहां न उत्खनन कर अन्यत्र जगह उत्खनन कर रेत का परिवहन किया गया है जिस पर खनिज विभाग ने अब तक चुप्पी साध रखी है। 

तो ठेकेदार की कठपुतली बन गया खनिज विभाग? 

ठेकेदार के इशारे पर कार्यवाही करने पर अब क्षेत्र में चर्चा का विषय हो गया है कि क्या ठेकेदार के इशारों की कठपुतली खनिज विभाग बन गया है जहां ठेकेदार चाहते हैं वह कार्यवाही की जाती हैं और वही चंगेरी में धार को मोड़कर ओवरलोड और नियम विपरीत तरीके से रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है जिस पर खनिज विभाग द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है। कोतमा चंगेरी घाट से रेत का उत्खनन करने के बाद उसे जिले ही नहीं जिले की बहार भी परिवहन किया जा रहा है लेकिन नियमों को दरकिनार कर पानी की जगह से रेत की निकासी कर उसे बड़े मात्रा में परिवहन किया जा रहा है लेकिन खनिज विभाग द्वारा सिर्फ आम जनमानस के ऊपर ही कार्यवाही की जा रही है और यह कार्यवाही ठेकेदार के इशारे पर हो रही हैं वहीं ठेकेदार की कठपुतली बनकर खनिज विभाग ठेकेदारों के इशारों पर कार्य करने को विवश हो गई है।

नर्मदा में उत्खनन करने की चल रही तैयारी

अनूपपुर जिले की दो महत्वपूर्ण नदी केवई और सोन नदी 21 खदानें पूर्व में चिन्हित की गई थी। जिसमें से अधिकांश खदानों का संचालन किया गया था अब मध्य प्रदेश स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन द्वारा नर्मदा नदी में रेत उत्खनन का प्लान बना रही है। नर्मदा उद्गम के कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मौजूद पुष्पराजगढ़ के खजुरवार रेत उत्खनन के लिए खदान बनाने की तैयारी चल रही है जिसके लिए 18 तारीख को लोक सुनवाई हेतु आमंत्रित किया गया है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जब अनूपपुर जिले में इतनी तादात में रेत की खदानें उपलब्ध है तो अनूपपुर के साथ मध्य प्रदेश की जीवन दायनी नर्मदा नदी में रेत उत्खनन का क्या प्राय है। उद्गम के चंद किलोमीटर की दूरी में अगर रेत उत्खनन किया जाएगा तो भविष्य में नर्मदा के अस्तित्व को संकट भी पड़ सकता है। मध्य प्रदेश स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन द्वारा नर्मदा में रेत उत्खनन की तैयारी की जा रही है जिससे आने वाले भविष्य में अनूपपुर के सबसे महत्वपूर्ण नदी नर्मदा का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।

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