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शुभम बघेल जयपुर में पत्रिका राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित

विचारपुर के फुटबॉल खिलाड़ियों के हक की आवाज उठाने और गर्म सलाखों से दागने की कुप्रथा, आदिवासियों के मुद्दे पर मिला अवार्ड

अनूपपुर।



पत्रिका शहडोल संस्करण के संपादक व शासन के राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार शुभम बघेल को पंडित झाबरमल्ल शर्मा स्मृति व्याख्यान, सृजनात्मक साहित्य एवं पत्रकारिता पुरस्कार कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। उन्हे यह अवार्ड 4 जनवरी को जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी गांव विचारपुर के फुटबॉल खिलाड़ियों के हक की आवाज, बच्चों को गर्म सलाखों से दागने की कुप्रथा, आदिवासियों के मुद्दे पर बेहतर कार्यों को लेकर दिया गया है।आदिवासी इलाकों के बड़े मुद्दों पर शुभम बघेल इम्पैक्टफुल अभियान के लिए पहचाने जाते हैं। आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रोत्साहन के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक श्री गुलाब कोठारी जी की गरिमामय उपस्थिति रही। समूह के कार्यकारी संपादक श्री निहार कोठारी जी, संयुक्त संपादक श्री सिद्धार्थ कोठारी जी, डिप्टी एडिटर आदरणीय श्री भुवनेश जैन जी ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। शहडोल के आदिवासी गांव विचारपुर में राष्ट्रीय व राज्य स्तर के फुटबॉल खिलाड़ी थे। ये मजदूरी करने के लिए मजबूर थे। कोई फावड़ा चलाता था तो कोई दुकानोंं में मजदूरी करता था। आदिवासी बच्चों के मुद्दों को उठाया। बाद में इन बच्चों से पीएम मोदी ने मुलाकात की और गांव में फुटबॉल अकेडमी बनाई गई है। पीएम ने विचारपुर गांव को देश की फुटबॉल की नर्सरी बताई है।अब तक संभाग की सभी पंचायतों में 1 हजार से ज्यादा फुटबॉल क्लब बन चुके हैं। यहां राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं हुई हैं। विचारपुर के आदिवासी युवा खिलाडिय़ों को उद्योगों में नौकरी मिली है। 


दागना कुप्रथा और आदिवासियों के मुद्दों पर अभियान 

आदिवासी इलाकों में बच्चों को अंधविश्वास के फेर में गर्म सलाखों से दागकर इलाज किया जाता था। इस कुप्रथा के खिलाफ लगातार पांच वर्ष से अभियान चला रहे हैं। पांच सौ गांवों का दौरा कर 2 हजार से ज्यादा बच्चों की सूची तैयार कर उच्च स्तर तक पहुंचाया था। बाद में दागना कुप्रथा के खिलाफ धारा 144 लागू की गई। गांव गांव चौपाल लगाई गई। दागने वालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले गुनिया और तांत्रिकों की बड़े स्तर पर काउंसलिंग कराई गई। दागना के खिलाफ स्पेशल टास्क फोर्स भी बनी है। अभी भी दागना के खिलाफ लगातार गांव गांव पहुंचकर काम कर रहे हैं।


बैगाओं की जाति में गड़बड़ी, 6 हजार के रिकार्ड सुधरवाए

इसके अलावा बैगाओं के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी। शहडोल संभाग के बैगाओं के रिकार्ड में जाति गलत दर्ज कर दी गई थी। इसकी वजह से सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। बैगाओं का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। गांव गांव शिविर लगाए गए और 6 हजार से ज्यादा बैगाओं के रिकार्ड में सुधार किया गया।

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