नीलांजन समाभासं रविपुत्रम् यमाग्रजम्
छाया मार्तण्ड संभूतम् तं नमामि शनैश्चरं
शनि जयंती पर विशेष समर्पण
मनोज द्विवेदी, कोतमा/अनूपपुर
✍✍✍✍
अनूपपुर-22 मई
पत्रकारों के सम्मेलन मे शामिल होने के पश्चात वरिष्ठ पत्रकार एवं श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज द्विवेदी गए हुए थे जिसके बाद उन्होंने अपनी कलम से वहां का वर्णन किया है वे कहते हैं मुरैना के ऐंती पर्वत पर स्थित ऐतिहासिक शनि मन्दिर में शनिदेव की पूजा करने का अवसर प्राप्त हुआ। यह मन्दिर अत्यंत प्राचीन त्रेताकालीन है।प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। शनि अमावस्या को लाखों की भीड एकत्रित होती है।
बतलाया जाता है कि लंकादहन से पूर्व श्री हनुमान जी महाराज ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त किया। तब वे उल्कापिंड के रुप में ऐंति पर्वत पर गिरे। पर्वत पर पिंड गिरने से जो विशालकाय गड्ढा हुआ ,वह आज भी देखा जा सकता है। उसी गड्ढे मे पूर्व मुखी श्री शनिदेव की प्रतिमा मन्दिर में स्थापित की गयी है।
मन्दिर का निर्माण विक्रमादित्य ने कराया था। प्रतिमा का तेज देखते ही बनता है। पूर्व मुखी होने के कारण सूर्य से सीधा साक्षात्कार न हो इसलिए शनिप्रतिमा के ठीक सामने बाल्य मुखी श्री सिद्ध हनुमान जी की श्रृंगारिक प्रतिमा स्थापित की गयी है। जिनका श्रृंगार हर तरह के जेवरों से किया गया है।
इस मन्दिर के ठीक पीछे पिप्पलेश्वर महादेव जी विराजमान हैं। मैं परमपिता परमेश्वर का आभारी हूं कि मुरैना मे म प्र श्रमजीवी पत्रकारों के माध्यम से दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ। आप सभी को भगवान शनि जयंती अमावस्या की शुभकामनाये ।
छाया मार्तण्ड संभूतम् तं नमामि शनैश्चरं
शनि जयंती पर विशेष समर्पण
मनोज द्विवेदी, कोतमा/अनूपपुर
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अनूपपुर-22 मई
पत्रकारों के सम्मेलन मे शामिल होने के पश्चात वरिष्ठ पत्रकार एवं श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज द्विवेदी गए हुए थे जिसके बाद उन्होंने अपनी कलम से वहां का वर्णन किया है वे कहते हैं मुरैना के ऐंती पर्वत पर स्थित ऐतिहासिक शनि मन्दिर में शनिदेव की पूजा करने का अवसर प्राप्त हुआ। यह मन्दिर अत्यंत प्राचीन त्रेताकालीन है।प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। शनि अमावस्या को लाखों की भीड एकत्रित होती है।
बतलाया जाता है कि लंकादहन से पूर्व श्री हनुमान जी महाराज ने रावण की कैद से शनिदेव को मुक्त किया। तब वे उल्कापिंड के रुप में ऐंति पर्वत पर गिरे। पर्वत पर पिंड गिरने से जो विशालकाय गड्ढा हुआ ,वह आज भी देखा जा सकता है। उसी गड्ढे मे पूर्व मुखी श्री शनिदेव की प्रतिमा मन्दिर में स्थापित की गयी है।
मन्दिर का निर्माण विक्रमादित्य ने कराया था। प्रतिमा का तेज देखते ही बनता है। पूर्व मुखी होने के कारण सूर्य से सीधा साक्षात्कार न हो इसलिए शनिप्रतिमा के ठीक सामने बाल्य मुखी श्री सिद्ध हनुमान जी की श्रृंगारिक प्रतिमा स्थापित की गयी है। जिनका श्रृंगार हर तरह के जेवरों से किया गया है।
इस मन्दिर के ठीक पीछे पिप्पलेश्वर महादेव जी विराजमान हैं। मैं परमपिता परमेश्वर का आभारी हूं कि मुरैना मे म प्र श्रमजीवी पत्रकारों के माध्यम से दर्शन का अवसर प्राप्त हुआ। आप सभी को भगवान शनि जयंती अमावस्या की शुभकामनाये ।
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